सॉन्ग सुनाते आये मच्छर खून चूसकर जाने लगे
यूँ रात में इस वाक़िये से याद भी कोई आने लगे
प्रेम राग सुनाकर किसी ने छेड़ा था जज्बातों को
जैसे ही जीना सीखा था फिर छोड़कर जाने लगे
पहले मैं चाहत बना फिर बन गया जरूरत भी
बाद में ये क्या हुआ मुझे ही मुसीबत बताने लगे
प्यार को जीने के लिए जरूरी बताया था जिसने
अब प्यार के बिना कैसे जीना है ये सिखाने लगे
मोहब्बत के चक्कर में बिना किसी मुकदमा के
मैं काट रहा हूँ कारावास कोर्ट लगे न थाने लगे
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