मंगलवार, 3 सितंबर 2024

सॉन्ग सुनाते आये मच्छर खून चूसकर जाने लगे

 सॉन्ग सुनाते आये मच्छर खून चूसकर जाने लगे

यूँ रात में इस वाक़िये से याद भी कोई आने लगे


प्रेम राग सुनाकर किसी ने छेड़ा था जज्बातों को

जैसे ही जीना सीखा था फिर छोड़कर जाने लगे


पहले मैं चाहत बना फिर बन गया जरूरत भी

बाद में ये क्या हुआ मुझे ही मुसीबत बताने लगे


प्यार को जीने के लिए जरूरी बताया था जिसने

अब प्यार के बिना कैसे जीना है ये सिखाने लगे


मोहब्बत के चक्कर में बिना किसी मुकदमा के

मैं काट रहा हूँ कारावास कोर्ट लगे न थाने लगे

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें