शुक्रवार, 6 सितंबर 2024

भोगो और भागो का लागू करो पश्चिमी सभ्यता : अल्फ़ा है अल्फ़ाज में

बहुत दीप जलाया हमने फिर भी मन में काला क्यों 

कुछ मिटा नहीं अंधेरा भी मिला नहीं उजाला क्यों 


या तो हमारी आस्था झूठी या तो ये दिवाली धोखा 

दीप पर्व में उजाले का हमने मुगालता पाला क्यों 


हमने ही बनाया इसे दिवाली मतलब खरीददारी 

समझ नहीं आता ये दिवाली बाजार वाला क्यों 


कोई तो कुचक्र है ये समझ लो सचेत हो जाओ 

इस सिस्टम ने सांचे में हमें ऐसा ही ढाला क्यों 


तुम्हें यहाँ तक लाने में मीडिया का योगदान है 

तो टीवी और अख़बार पर लगाते नहीं ताला क्यों 


बाजारवाद हावी है हम इंसानों के हर उत्सव में 

हमने अपने आस्था का जनाजा ये निकाला क्यों


अगर बढ़ना ही है अंधाधुंध तो बढ़ो बेतहाशा 

पूंजीवादी व्यवस्था में मनका मोती माला क्यों


भोगो और भागो का लागू करो पश्चिमी सभ्यता 

इतना आगे बढ़कर भी मन में मकड़ जाला क्यों 


- कंचन ज्वाला कुंदन 


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