गुरुवार, 5 सितंबर 2024

जीवन में बहार लाने यही चुनौती है, पतझड़ में तुमको पलना ही होगा

जाना है जहाँ तक चलना ही होगा 

नए सांचों में अब ढलना ही होगा 


रास्ते नए हैं तो तजुर्बे नए होंगे ही

सफ़र के लिए निकलना ही होगा 


कुछ फ़लसफ़ा जीवन का याद रखो

हार के बाद फिर संभलना ही होगा 


नजर वही मगर खेल नजरिये का 

अपना नजरिया बदलना ही होगा 


जीवन में बहार लाने यही चुनौती है 

पतझड़ में तुमको पलना ही होगा 


- कंचन ज्वाला कुंदन 

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