सफलता कोई निशानी मांगे दे दो
कामयाबी कोई कुर्बानी मांगे दे दो
खास हिस्सा हो तो भी अफ़सोस क्यों
जीवन की कोई कहानी मांगे दे दो
कामयाबी की कीमत चुकानी ही होगी
वो खुद की मुंह मनमानी मांगे दे दो
सक्सेस भी इतना आसान कहाँ बंधु
वो जिद पर आए जवानी मांगे दे दो
सुबह शाम दोपहर कर दो न्यौछावर
कमबख्त ये रात सुहानी मांगे दे दो
जिस्मानी संबंधों की औकात ही क्या
सफलता मोहब्बत रूहानी मांगे दे दो
- कंचन ज्वाला कुंदन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें