गुरुवार, 5 सितंबर 2024

जिस्मानी संबंधों की औकात ही क्या

सफलता कोई निशानी मांगे दे दो 

कामयाबी कोई कुर्बानी मांगे दे दो 


खास हिस्सा हो तो भी अफ़सोस क्यों

जीवन की कोई कहानी मांगे दे दो 


कामयाबी की कीमत चुकानी ही होगी 

वो खुद की मुंह मनमानी मांगे दे दो 


सक्सेस भी इतना आसान कहाँ बंधु 

वो जिद पर आए जवानी मांगे दे दो 


सुबह शाम दोपहर कर दो न्यौछावर

कमबख्त ये रात सुहानी मांगे दे दो


जिस्मानी संबंधों की औकात ही क्या

सफलता मोहब्बत रूहानी मांगे दे दो


- कंचन ज्वाला कुंदन

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