इस बार मन था कि तेरे साथ होली खेलूं
कोरोना का कहर है क्या करूँ
तेरे संग होली मनाऊं कि नहीं
तुम्हें गुलाल लगाऊं कि नहीं
तू खुद ही कोरोना से कम नहीं है
किसी कोरोना वायरस से कम नहीं थी वो
उसके असली नाम का पता तो अब चला है
किसी रास्ते से गुजर रहा था मैं
और आ गया उसके चपेट में
क्या मैं ही हुआ था संक्रमण का शिकार
क्या मुझे ही हुआ था उससे प्यार
एक दिन उसे उसका ढक्कन मिल गया
और वो खतरनाक वायरस
अब कैद हो चुकी है
किसी के बांहों में
लगता है अभी वो बर्तन मांज रही होगी
या थपकियाँ देकर बच्चे को सुला रही होगी
और मैं...?
मैं तो अभी भी संक्रमण से उबरा नहीं हूँ
- कंचन ज्वाला कुंदन
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