इस कंक्रीट के जंगल में भेड़ियों की सरकार है
मेमने मिलकर कह रहे सामूहिक बलात्कार है
अब ऐसा लगता है यहाँ सरकारी कोशिशों से
भेड़ियों की भूख मिटाने योजना की दरकार है
कोई तो होगा इसका कारगर समाधान बताओ
क्या ऐसा ही होता रहे ये सब तुम्हें स्वीकार है
लगता है सेक्स वर्करों को लाइसेंस देना होगा
मेमनों का कैंडल मार्च तो बेकार का बेकार है
भेड़ियों को योजना के तहत सेक्स देना होगा
जिस्मानी मुद्दा भी तो सामाजिक सरोकार है
हम दोपाया पशुओं को चारा भी तो चाहिए
चकलाघर व चारागाह दोनों अहम किरदार है
गुटुरगूं करते कबूतरों को पत्थर मारना बंद करो
यौन स्वतंत्रता पे पाबंदियां बिल्कुल अत्याचार है
फिर कोई भूख से भेड़िया न बन जाये रोक लो
मैं सोचता हूँ ये कैसे रुकेगा मेरा यही विचार है
- कंचन ज्वाला कुंदन
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