मंगलवार, 3 सितंबर 2024

गरीब माँ की कोख़ को तुम लज्जित मत करना

जब तुम माँ की गर्भ में होते हो

भ्रूण आकार ले रहा होता है 

गर्भ के भीतर धीरे-धीरे 


और इधर गर्भ के बाहर 

तुम्हारे पैदा होने के पहले ही 

भाग्य-दुर्भाग्य का 

संयोग-दुर्योग का 

खेल शुरू हो जाता है


तुम्हें पालने वाला गर्भ 

जब गरीब माँ की हो 

तो पैदा होने से पहले ही 

तुम्हारी कुछ नियति तय है 

तुम पैदा हो सकते हो 

सरकारी अस्पताल के 

ठीक चौखट पर ही 

तुम पैदा हो सकते हो 

घर में, घाट में, या खेत पर ही


और पैदा होने के बाद भी 

तुम्हारी कुछ नियति तय है 

तुम दुत्कारे जाओगे हर जगह 

तुम लताड़े जाओगे हर जगह 

गरीब घर पैदा होने के 

दुर्योग का दंश भी खलेगा 

ये पैसा क्या होता है 

जब तुम्हें पता भी चलेगा

 

इसके बावजूद भी 

गरीब माँ की कोख को कोसना मत 

इसके बावजूद भी 

गरीब माँ की गर्भ को कोसना मत 

तुम गिरे हुए हो बदतर हो ये सोचना मत


तुम्हारे पैदा होने के पहले 

और तुम्हारे पैदा होने के बाद 

नियति कितना भी दर्दनाक रहा हो 

तुम होश संभालते ही 

कुछ नियति खुद तय कर सकते हो

 

तुम बदल सकते हो अपना दुर्योग 

तुम बदल सकते हो अपना दुर्भाग्य 

तुम्हारा जन्म लेना तुम्हारे वश में नहीं था 

लेकिन तुम्हारी मृत्यु तुम्हारे हाथ में है


तुम तय कर सकते हो 

तुम्हें क्या बनकर मरना है 

तुम तय कर सकते हो 

अंतिम सांसों तक क्या करना है 


गरीब माँ की कोख़ को तुम लज्जित मत करना 

मैं चाहता हूँ तुमसे कुछ बड़ा करके ही मरना 


- कंचन ज्वाला कुंदन 

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