आज शिक्षक दिवस के विशेष मौके पर
गुरुजी को मेरा दंडवत प्रणाम
जिन्होंने सिखाया मुझे ककहरा
उन गुरुजनों को भी साष्टांग प्रणाम
जिन्होंने सिखाया मुझे
जीवन का सबक गहरा
उन्हें भी प्रणाम जो मेरे मास्टर रहे
और कुछ नहीं सिखाया
क्लास में केवल बकलोल बने रहे
बकलोल मास्टरों को भी प्रणाम
उन शिक्षकों को भी सादर प्रणाम
जिन्होंने मुझे खूब रटना सिखाया
जो जीवन में कभी काम नहीं आया
उन महाज्ञानी गुरुजनों को ज्यादा प्रणाम
जो लगाव रखते थे छात्राओं से कुछ ज्यादा ही
यहाँ तक की उनके पीठ में हाथ फेरते थे बड़े प्यार से
और छात्रों के पीठ पर सख्त हाथ फेरते थे
साफ़ कहूँ तो केवल कूटते और पिटते थे
कुल मिलाकर सभी कलयुगी गुरुजनों को
मेरा कोटि-कोटि प्रणाम
सभी विद्यार्थियों को खूब पढ़ाएं, खूब रटाएं
आदमी कम रट्टू तोता ज्यादा बनाएं
इस क्रूर सिस्टम में
आप बड़ी मुश्किल से
सरकारी शिक्षक बने हैं
तनख्वाह लें और चद्दर तानकर सो जाएं
आप जैसा चाहें वैसा ही अपनी भूमिका निभाएं
अब बताने को ज्यादा क्या बताऊँ
प्राइवेट टीचरों की भी अनंत कथाएं
कुल मिलाकर कहूँ तो
मेरे जीवन के हिस्से के
सभी सरकारी फटीचरों को
और सभी प्राइवेट टीचरों को
सबको मेरा सादर प्रणाम
सबको शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें