बुधवार, 4 सितंबर 2024

मैंने मौन होकर देखा है ये होते बलात्कार

फिर से निकलवा रहे हैं संकलन इस बार

व्हाट्सएप पर मुनादी होता है लगातार


5 रचनाएं भेजिए खूबसूरत फोटो साथ में

छपवा लो किताबें सहयोग राशि दो हजार


खैर, इसमें किसी को कुछ आपत्ति भी क्या

साहित्य सेवा हो रहा है बड़ा ही शानदार


छपवाने के लिए हो रहीं रचनाएं उत्पादित

हिंदी की दुर्गति में हम सब हैं जिम्मेदार


सामूहिक दुष्कर्म में मेरा भी नाम लिख लो

मैंने मौन होकर देखा है ये होते बलात्कार


हिंदी किताबें बिक रहीं हैं किलो के भाव में

कई संस्थाएं चला रहीं हैं साहित्यिक बाजार


छूटना नहीं चाहिए एक आदमी भी जमीं पर

जहाँ भी अवसर हो सिर्फ खोजो व्यापार


आदमी के पैदा होने से लेकर मरघट तक

अरे करना है इनको तो सिर्फ कारोबार


जंग छिड़ जाये लोग मरने लगें धड़ाधड़ तो

कफ़न बेचने लगेंगे ये स्वयंभू कलमकार


प्यार-मोहब्बत पर अटकी है हमारी औकात

हमारे ही हाथों हिंदी हो रही है तार-तार


साहित्य मेला में देखना कभी हिंदी का हस्र

फिर कहना कि हमारी लेखनी है तलवार

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