दो साल पहले
पर्यावरण मंडल ने कहा-
अलाव न जलाएं
इससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है
निगम अधिकारियों ने
अलाव जलाने वालों पर
जमकर कार्रवाई की
अलाव जलाने वालों से
जुर्माना भी वसूला गया
अलाव नहीं जलाने देने पर
भेड़ों का एक धड़ा
कंबल में दुबक गया
किसी ने चूं भी नहीं किया
क्योंकि नाम के निजी
काम के सरकारी अख़बारों ने बताया
अलाव जलाने से प्रदूषण होता है...?
और फैक्ट्रियों के धुएं से
ऑक्सीजन की सफाई होती है...?
पब्लिक ने मान भी लिया...
भेड़ों के एक धड़ा ने तो
अलाव से हाथ तक नहीं सेंका
दो साल बाद मुख्यमंत्री ने कहा-
शीतलहर चल रही है
जगह-जगह अलाव जलाये जाएँ
निगम अधिकारियों ने
शहर भर में
अलाव जलाने की व्यवस्था कर दी
अब वही पब्लिक, हाँ, वही पब्लिक
अलाव से प्रदूषण बताने वाले अख़बारों में
अलाव जागरुकता की खबरें पढ़ते हुए
अब जगह-जगह पर
अलाव जलाकर, झुंड में बैठकर
दांत निपोर रही है
कभी-कभी सवाल भी पूछ लिया करो
पहले वैसा क्यों...
अब ऐसा क्यों...
ये लोकतंत्र है, लूटतंत्र है या भेड़तंत्र
( आप सभी को नववर्ष की भेड़िया-धसान बधाई...)
उम्मीद है नए साल में जागने का संकल्प लेंगे...
- कंचन ज्वाला कुंदन
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