हार गया मैं भी आज
टूट गया पूरी तरह
पहले मैं सोचता था
बुजदिल हैं वे लोग
जो सुसाइड कर लेते हैं
कोई भी बुजदिल नहीं होता होगा
हालातों से हार जाते होंगे वे सब
बिल्कुल मेरी तरह...
पहले मैं यह भी सोचता था
कितनी घटिया सोच होगी
उन मर्दों की
और कितने घटिया होंगे
वे मर्द
जो अपनी औरतों का खून कर देते हैं
मगर इतने बरस बाद यकीन हुआ है
मैं गलत सोचता था
क्योंकि मैं पहले कभी
सोचता नहीं था उनकी तरह...
हर हालातों के पीछे
जरूर कोई वजह होता है पर्याप्त
हालाँकि मैं परिपक्व नहीं हूँ
न ही मेरी सोच परिपक्व है
मगर यकीन हो गया है पहले से ज्यादा
कड़वे तजुर्बे अभी और भी होंगे
मुझे तैयार रहना होगा
दुनिया की क्रूर सच्चाई
और अश्लील हकीकत देखने के लिए
या तो मुझे खुद को ख़त्म कर लेना चाहिए
उन बुजदिलों की तरह...
- कंचन ज्वाला कुंदन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें