बुधवार, 4 सितंबर 2024

हाँ, तुम बच जाओगे यार, मेरी तरह जिंदा लाश बनकर सफ़र तय करने से...

 हाँ, तुम बच जाओगे यार, मेरी तरह जिंदा लाश बनकर सफ़र तय करने से...


जिंदगी क्या है...? क्यों है...? इसे समझने का प्रयास हर आदमी करता है. हर आदमी के लिए जिंदगी की परिभाषा भी अलग-अलग है. परिभाषा अलग-अलग इसलिए है कि हम सबके जीने-मरने की प्राथमिकताएं अलग-अलग हैं. हमारी अपेक्षाएं अलग-अलग होने के बावजूद जिंदगी कई मामलों में एक जैसी है. खुशियाँ सबको चाहिए. सफलता सबको चाहिए. जीवन में सहानुभूति सबको चाहिए. आपसे एक कड़वा और यथार्थ बात कहूँ. जीवन का फलसफा यही है कि जीवन में समझ में आते-आते आधा जीवन ख़त्म हो चुका होता है. जीवन को लेकर आपका नजरिया क्या है, मुझसे जरूर साझा कीजियेगा. आपके नजरिये को जानकर मुझे बेहद ख़ुशी होगी. जीवन से जुड़ी एक जीवंत कविता आप सबके लिए पेश है...

जिंदगी क्या है
ये किसी ने बताया है तुम्हें अब तक
ये किसी ने समझाया है तुम्हें अब तक
या केवल जिए जा रहे हो
सिर्फ साँस लिए जा रहे हो

मैंने मौत के पड़ाव का
एक तिहाई सफ़र तय कर लिया
मुझे तो किसी ने नहीं बताया
जिंदगी क्या है
जीना किसे कहते हैं

मैं चाहता हूँ तुम मुझसे पहले पता कर लो
जिंदगी क्या है
जीना किसे कहते हैं
हाँ, तुम बच जाओगे यार
मेरी तरह जिंदा लाश बनकर सफ़र तय करने से...

- कंचन ज्वाला कुंदन

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