मंगलवार, 3 सितंबर 2024

मोबाइल छूते ही मोबाइल जकड़ लेता है

 हमीं से हमारा मन अकड़ लेता है 

जिद्दी बच्चे की तरह झगड़ लेता है 


ये आलस्य है कि छूटता ही नहीं 

सोते हैं तो हमें बिस्तर पकड़ लेता है 


हमारे समय पर हमारा ही अंकुश नहीं 

मोबाइल छूते ही मोबाइल जकड़ लेता है 


हमारा ये चंचल मन किसी आलादीन जैसा है 

जब चाहे हमें चिराग की तरह रगड़ लेता है 


मन पर काबू पाना बहुत कठिन है कुंदन 

ये अड़ियल घोड़े की तरह अड़ लेता है 

- कंचन ज्वाला कुंदन 

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