हमीं से हमारा मन अकड़ लेता है
जिद्दी बच्चे की तरह झगड़ लेता है
ये आलस्य है कि छूटता ही नहीं
सोते हैं तो हमें बिस्तर पकड़ लेता है
हमारे समय पर हमारा ही अंकुश नहीं
मोबाइल छूते ही मोबाइल जकड़ लेता है
हमारा ये चंचल मन किसी आलादीन जैसा है
जब चाहे हमें चिराग की तरह रगड़ लेता है
मन पर काबू पाना बहुत कठिन है कुंदन
ये अड़ियल घोड़े की तरह अड़ लेता है
- कंचन ज्वाला कुंदन
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