मैं सुशांत की तरह कल हमेशा के लिए शांत हो जाऊंगा
मैं सुशांत की तरह कल हमेशा के लिए शांत हो जाऊंगा. ये पढ़ने के बाद आप लिंक पर क्लिक किए होंगे तो आप मेरे जरूर शुभचिंतक होंगे. या आप मुझे नहीं जानते हैं तो आपने मानवीय संवेदना के चलते लिंक पर क्लिक किया होगा. साथियों मैं बेहद परेशान हूँ. कुंठा का शिकार हो चुका हूँ. सच बताऊँ तो मैं सुशांत की तरह शांत नहीं होना चाहता. मेरे भीतर कुछ द्वंद्व है, उधेड़बुन है, कुछ उलझन है, जिसे आपसे साझा कर हल्का महसूस करना चाहता हूँ. यदि आप बहुत ही सभ्य और शील पुरुष हैं. संस्कारी औरत हैं तो प्लीज आगे वीडियो देखना बंद कर दीजिए. इस सिस्टम की कुछ क्रूरता है जिसे मैं आज बिना फ़िल्टर के उकेरना चाहता हूँ. बिना लागलपेट के अश्लील शब्दों में ही नंगा सच आपके सामने रखना चाहता हूँ. तो अब शुरू करते हैं वीडियो... अगर ये वीडियो नंगा सच के जरा भी करीब हो तो चैनल सब्सक्राइब कीजिएगा. वीडियो और भी लोगों तक फारवर्ड कीजिएगा. एक बात कहूँ खुजली को खुजलाने से क्या मिलता है...एक अदद सुकून... मैं और आप इस क्रूर सिस्टम का कुछ नहीं उखाड़ सकते. हाँ आप और मैं मिलकर मुंहचोदी करके, बकचोदी करके एक अदद सुकून हासिल जरूर कर सकते हैं. ये जो सिस्टम है न मादरचोद है. इस सिस्टम में एक से बढ़कर एक गांडू लोग बैठे हैं. ये हरामी लोग शरीफ लोगों की गांड़ मारने पर तुले हुए हैं. अब हम और आप मिलकर इस सिस्टम के एक-एक पहलू की माँ चोदेंगे. आज एजुकेशन सिस्टम पर बात करेंगे. ये जो एजुकेशन सिस्टम है अव्वल दर्जे का चुतियापा है. एजुकेशन की औकात कौड़ी भर है. मैंने इस एजुकेशन से अपेक्षा करोड़ों का पाल लिया था. आप पीएचडी भी कर लो कमाओगे चाट-गुपचुप वाले से भी कम. इस घटिया एजुकेशन सिस्टम ने मेरा ३० साल बर्बाद कर दिया. अब अगले ३० सालों तक इस सिस्टम को पानी पी-पीकर गालियाँ दूँ तो कम है. मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म पूरा कर मैंने बेहतर भविष्य के लिए एमफिल किया. इससे भी कुछ नहीं उखड़ा. फिर मैं नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट याने नेट एक्जाम की तैयारी करने लगा. इसमें कट ऑफ़ में २ परसेंट से पीछे रह गया. उसके बाद मैं पीएचडी की तैयारी करने लगा. केन्द्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर में मैंने पीएचडी के लिए लिखित परीक्षा निकाल लिया. फिर मैं पीएचडी के लिए इंटरव्यू की तैयारी करने लगा. इंटरव्यू भी निकाल लिया. इन्हीं दिनों मैं नेपोटिज्म और कास्टिज्म का शिकार हो गया. मैं १० सालों से मीडियाकर्मी हूँ. अभी मेरे एकाउंट में सिर्फ सोलह रुपए हैं. मादरचोद मीडिया माफियों मैं १० सालों से मीडियाकर्मी हूँ और मेरे एकाउंट में सिर्फ सोलह रुपए हैं. तुम्हारे लिए, मेरे लिए, मादरचोद हो चुके इस मीडिया फिल्ड के लिए मीडिया के कुछ महानचोदों के लिए इससे बड़ा करारा तमाचा, इससे बड़ा तंज, इससे बड़ा व्यंग्य और क्या हो सकता है. मैंने १० सालों से किसी से १ रुपए की उगाही नहीं की. ईमानदारी की कीमत है गरीबी. गांडू पत्रकारिता का इनाम है तंगहाली. मीडिया के चार चोद्दलों का चेहरा नजर आ रहा है. जिन चोद्दलों ने मेरी जिंदगी को नरक बना दिया. मैं कैसे बर्बाद हुआ. उन चार चोद्दलों की हम और आप मिलकर माँ चोदेंगे. आप मेरा चैनल तत्काल सब्सक्राइब कीजिए. कल यही से आगे का वीडियो देख्नेगे. आज बस इतना ही...
आपका अपना ही
इस चमन चूतिये को कंचन ज्वाला कुंदन कहते हैं...
कुकर में खाना तभी बनता है जब गैस पास होता है. नहीं तो कुकर ब्लास्ट हो जाता है. आपने मेरा वीडियो सुना. मेरे भीतर भरे हुए गैस को पास करने में सहयोग किया है. आज मैं अपने भीतर का द्वंद्व बाहर नहीं निकालूँगा तो सच में कल को सुशांत हो जाऊंगा. वैसे बुराई कृत्यों में होता है. शब्दों में नहीं. जैसे बलात्कार शब्द का इस्तेमाल करने वाला बलात्कारी नहीं हो जाता. मैं आसाराम बापू की तरह वीर्य रक्षा, आत्मसंयम का प्रवचन देकर आश्रम के नंगा नाच नहीं कर सकता. जो क्रूर सच है मैं रखता चला जाऊंगा. वैसे एक बात और बताऊँ गाली कोई गली नहीं है. गाली अपने आपमें मार्ग है. नेशनल हाईवे है. गाली भी भाषा का अभिन्न हिस्सा है. आपको गाली देने का मन है तो आप मुझे भी गाली दे सकते हैं. साथियों भीतर के भरे हुए गैस को बाहर निकालो यार. नहीं तो ब्लास्ट हो जावोगे सुशांत की तरह.
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