मंगलवार, 3 सितंबर 2024

तुम बेहतर नहीं हुए तो बदतर होना तय है

 होगा वही ये जानले जिसका तुम्हें भय है

तुम बेहतर नहीं हुए तो बदतर होना तय है


जंगल सा नियम है इस दुनिया का देख ले

लड़ना तो होगा लेकिन जीत पर भी संशय है


सिकंदर भी बन जाएगा तो भी ये सुन ले

सब कुछ है नश्वर कुछ भी नहीं अक्षय है


हर कदम युद्ध है इस जीवन में समझ ले

ये कहने का मेरा बस इतना ही आशय है


सुर सजा ही नहीं सकते तुम किसी भी तरह

अरे ये जिंदगी का साला बेसुरा ही लय है


कंचन ज्वाला कुंदन

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