धोखे खाकर पछताओ मत तुम भी धोखेबाज बनो
जब दगा दिया तुम्हें किसी ने तुम भी दगाबाज बनो
दरीचे-सा तुम खुलो मत, ये समय क्रूर है भूलो मत
भले हो जाओ खंडहर मगर तहखाने-सा राज बनो
तुम झूठ बोलो सरासर और छुरा घोंप दो पीठ पीछे
दूध पीकर जहर उगलो चलो तुम भी नागराज बनो
शराफ़त सर की आफ़त है चूज़े रहकर मारे जाओगे
अवसर मिले तो भुनाओ खूब उड़ने वाले बाज बनो
ये पुनीत काम है मानो अब कल पर यूँ न टालो तुम
सबक लेकर कल बनने से बेहतर है कि आज बनो
- कंचन ज्वाला कुंदन
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