मंगलवार, 3 सितंबर 2024

छिनता जा रहा है मेरे हिस्से का धूप भी

छिनता जा रहा है मेरे हिस्से का धूप भी

कि इस क़दर मैं कब तक रहूँगा चूप भी


जल जंगल जमीन हवा फ़िजा लूट लिए

बेहद सक्रिय है इन लुटेरों का ग्रुप भी


किसी को नसीब नहीं चाय की चुस्कियां

किसी के लिए मौजूं है चिकन सूप भी


कुछ भटक रहे हैं दर-ब-दर निवाले को

किसी ने खोद लिए दौलत के कूप भी


सामाजिक समानता पर संसद में बहस

बड़े ही छद्म हैं इन गिरगिटों के रूप भी


- कंचन ज्वाला कुंदन

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