मैंने माशूका पर ढेरों गजलें खामखाँ लिख दिया
लिखना तो था ही नहीं मगर हाँ लिख दिया
कोरे कागजों को काला करता रहा मोहब्बत पर
छद्म शब्दों का, आडंबर का कारवां लिख दिया
शिक्षक ने आज कहा परिवार पर कविता लिखो
मैंने सिर्फ एक ही शब्द बस माँ लिख दिया
शिक्षक ने कहा कुछ और आगे भी लिखो
मैंने माँ को मेरी खूबसूरत जहां लिख दिया
माँ पर कविता मेरे लिए मुमकिन नहीं गुरुजी
मैंने लिखने के अंत में अनंत आसमां लिख दिया
- कंचन ज्वाला कुंदन, रायपुर
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