शुक्रवार, 6 सितंबर 2024

जिस्मानी मुद्दा भी तो सामाजिक अधिकार है

इस कंक्रीट के जंगल में भेड़ियों की सरकार है 

मेमने मिलकर कह रहे सामूहिक बलात्कार है 


अब ऐसा लगता है यहाँ सरकारी कोशिशों से 

भेड़ियों की भूख मिटाने योजना की दरकार है


कोई तो होगा इसका कारगर समाधान बताओ 

क्या ऐसा ही होता रहे ये सब तुम्हें स्वीकार है 


लगता है सेक्स वर्करों को लाइसेंस देना होगा 

मेमनों का कैंडल मार्च तो बेकार का बेकार है 


भेड़ियों को योजना के तहत सेक्स देना होगा

जिस्मानी मुद्दा भी तो सामाजिक अधिकार है 


हम दोपाया पशुओं को चारा भी तो चाहिए 

चकलाघर व चारागाह दोनों अहम किरदार है


गुटुरगूं करते कबूतरों को पत्थर मारना बंद करो

यौन स्वतंत्रता पे पाबंदियां बिल्कुलअत्याचार है 


फिर कोई भूख से भेड़िया न बन जाये रोक लो 

मैं सोचता हूँ ये कैसे रुकेगा मेरा यही विचार है  


- कंचन ज्वाला कुंदन 

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