सच कह दो तो पॉलिटिकल पंगा है कब लिखोगे
सफ़ेदपोश नेता ही बिल्ला-रंगा है कब लिखोगे
कैसे हो पत्रकार भैया, और सब कुछ बढ़िया न...
पत्रकारिता बड़ा ही गोरख धंधा है कब लिखोगे
चौक-चौराहों की सारी गंदगी लिख आए अख़बार में
तेरे ही दफ्तर का हाल बहुत गंदा है कब लिखोगे
ब्लैक मनी का व्हाइट मैजिक है मीडिया हाउस
खेलों के खेल में भी भारी हथकंडा है कब लिखोगे
कईयों को खड़े कर दिया तुमने उनके कच्छे में
तुम्हारा मालिक भी बहुत नंगा है कब लिखोगे
कैसे हैं आपके बॉस यानी मनरेगा के मुखिया जी
नेताओं के तलवे चाटता अधनंगा है कब लिखोगे
केवल कलम घसीटने से तेरा घर भी घसीट रहा
ओह! आखिर तू भी कितना अंधा है कब लिखोगे
- कंचन ज्वाला कुंदन
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