गुरुवार, 5 सितंबर 2024

कोई आदमी अपने बारे में जो सोचता है, उसी से उसकी तकदीर तय होती है, या उसके भाग्य के बारे में संकेत मिलता है

 हेनरी डेविड थोरो के अनुसार


“कोई आदमी अपने बारे में जो सोचता है, उसी से उसकी तकदीर तय होती है, या उसके भाग्य के बारे में संकेत मिलता है।"

अब मैं आपको एक शानदार कहानी सुनाता हूं...

एक भिखारी एक स्टेशन पर पेंसिलों से भरा कटोरा ले कर बैठा हुआ था। एक युवा अधिकारी उधर से गुजरा और उसने कटोरे में एक डॉलर डाल दिया, लेकिन उसने कोई पेंसिल नहीं ली। उसके बाद वह ट्रेन में बैठ गया। डिब्बे का दरवाजा बंद ही होने वाला था कि अधिकारी एकाएक ट्रेन से उतर कर भिखारी के पास लौटा और कर बोला, "मैं कुछ पेंसिलें उठा कुछ पेंसिलें लूँगा । इनकी क़ीमत है, आखिरकार तुम एक व्यापारी हो और मैं भी ।" उसके बाद वह तेजी से ट्रेन में चढ़ गया।

छह महीने बाद, वह अधिकारी एक पार्टी में गया। वह भिखारी भी वहाँ पर सूट और टाई पहने हुए मौजूद था। भिखारी ने उस अधिकारी को पहचान लिया, वह उसके पास जाकर बोला, “आप शायद मुझे नहीं पहचान रहे हैं, लेकिन मैं आपको पहचानता हूँ।” उसके बाद उसने छह महीने पहले घटी घटना का जिक्र किया। अधिकारी ने कहा, “तुम्हारे याद दिलाने पर मुझे याद आ रहा है कि तुम भीख माँग रहे थे। तुम यहाँ सूट और टाई में क्या कर रहे हो?" भिखारी ने जवाब दिया, “आपको शायद मालूम नहीं कि आपने मेरे लिए उस दिन क्या किया। मुझे दान देने के बजाए आप मेरे साथ सम्मान के साथ पेश आए। आपने कटोरे से पेंसिलें उठा कर कहा, 'इनकी क़ीमत है, आखिरकार तुम एक व्यापारी हो और मैं भी।' आपके जाने के बाद मैंने सोचा, मैं यहाँ क्या कर रहा हूँ? मैं भीख क्यों माँग रहा हूँ? मैंने अपनी जिंदगी को सँवारने के लिए कुछ अच्छा काम करने का फ़ैसला लिया। मैंने अपना झोला उठाया और काम करने लगा। आज मैं यहाँ मौजूद हूँ। मुझे मेरा सम्मान लौटाने के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। उस घटना ने मेरा जीवन बदल दिया।”

भिखारी की ज़िंदगी में क्या बदलाव आया? बदलाव यह आया कि उसका आत्मसम्मान जग गया और उसके साथ ही उसकी कार्यक्षमता भी बढ गई। हमारी जिंदगी में आत्मसम्मान इसी तरह का जादुई असर डालता है।

आत्मसम्मान और 'कुछ नहीं, बल्कि खुद अपने बारे में हमारी सोच है। अपने बारे मे हमारी जो राय होती है, उसका हमारी काम करने की शक्ति, रिश्तों माँ-बाप के रूप में हमारी भूमिका, जिदगी में हमारी उपलब्धियों, यानी हर चीज पर काफी गहरा असर पड़ता है। ऊँचे दर्जे के आत्मसम्मान से जिंदगी खुशहाल, संतुष्ट, और मकसदों से भरी जिंदगी बनती है। हम अगर खुद को मूल्यवान नहीं मानते, तो हम में ऊँचे दर्जे का स्वाभिमान भी पैदा नहीं होगा। आत्मसम्मान की वजह से हम आत्मप्रेरित (internally driven) होते हैं। इतिहास में जितने भी महान नेताओं और शिक्षको का जिक्र है, उन सबका मानना था कि सफल होने के लिए इसान का आत्मप्रेरित होना जरूरी है।

हम अपने बारे में जो सोचते हैं, उसका अहसास अनजाने में ही दूसरों को भी करा देते हैं और दूसरे लोग हमारे साथ उसी ढंग से पेश आते हैं। ऊँचे दर्जे के आत्मसम्मान वाले लोग खुद में दृढ़ विश्वास और क्षमता पैदा करते हैं, और वे ज़िम्मेदारियाँ कबूल करने के लिए तैयार रहते हैं। वे जिंदगी का सामना आशावादी नजरिए के साथ करते हैं, रिश्तों को बेहतर बनाते हैं और उनके जीवन में अधिक परिपूर्णता होती है। वे प्रेरित और महत्वाकाक्षी होते हैं। वे अधिक संवेदनशील भी होते हैं। उनकी काम करने की क्षमता और खतरे मोल लेने की योग्यता बढ़ जाती है। नए अवसरों और चुनौतियों को वे खुले मन से स्वीकार करते हैं। वे बड़ी चतुराई और सरलता के साथ दूसरों की आलोचना या तारीफ कर सकते हैं और अपनी आलोचना या प्रशंसा स्वीकार कर सकते हैं।

आत्मसम्मान एक ऐसा अहसास है, जो अच्छाई को समझने और उस पर अमल करने से पैदा होता है।

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