शनिवार, 7 सितंबर 2024

जिस्मानी यादें क्या याद नहीं होतीं

ढह गया मोहब्बत का मकान 

यादों का बस मलबा रह गया है 

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जिस्मानी मोहब्बत को जारी रखने 

हमारे दरमियाँ आड़े आया पैसा ही 

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उसे मतलब था मेरे पैसों से 

मुझे मतलब था बस जिस्म से 

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जिस्मानी यादें क्या याद नहीं होतीं 

कहती हो तुम्हें तो प्यार ही नहीं था 

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