कुंदन के कांटे
हाँ तो मैं एक कहानी सुनाने की बात कर रहा था. मेरी कहानी किस टाइप की है. ये सुनने के बाद आप ही तय करेंगे. तो शुरू करते हैं कहानी गिद्ध मीडिया की. गोदी मीडिया की. हालाँकि मुझ जैसे टूटपूंजिहा पत्रकार की मीडिया पर कहानी सुनाने की कोई हैसियत नहीं है. कोई औकात नहीं है. कलमघसीटू होने के नाते थोड़ा-बहुत कलम घिसने भर की कोशिश ही कर पाता हूँ. इस समय पूरा भारत पूछ रहा है कि दीपिका से कितने घंटे पूछताछ हुई...? सारा अपना 'सारा' राज कब खोलेगी...? सुशांत पर केस शांत होने का नाम ले रहा है. केस शांत होना भी नहीं चाहिए. इस केस का एक केश भी बचना नहीं चाहिए. केस बुलेट की तरह अपने निशाने पर बढ़ता तब बात ठीक है. ये केस तो धुएं की तरह चौतरफा फैलता जा रहा है.
इधर एक तरफ किसान सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं मगर पूरा देश जानना चाहता है कि कितने तारे-सितारे ड्रग्स लेते हैं. कितने सितारे गुड़ाखू घिसते हैं और कितने सितारे तम्बाखू खाते हैं...? देश को जानने का हक़ है इस बात का. ठीक इसी समय एक कच्छे का विज्ञापन आ जाता है. मुझे कच्छे के विज्ञापन से याद आता है कि मैं छत से अपना सुखाया हुआ कच्छा निकाल लाना ही भूल गया हूँ. मैं छत से कच्छा लाने के बाद हाथ में टीवी का रिमोट लेते ही चैनल बदल देता हूँ. अब मैंने जो चैनल लगाया है उसमें पायल घोष के घर के बाहर से एक्सक्लूसिव फुटेज चल रहा होता है. मैं तीसरा न्यूज़ चैनल बदलता हूँ. उसमें भी वही घिसी-पिटी बात. गैंग्स ऑफ़ ड्रग्सपुर का कल होगा बड़ा खुलासा. सिर्फ हमारे चैनल पर. इतना सुनते ही मैं इस चैनल पर थोड़ी देर तक कूल्हे टिकाये रखता हूँ. ज्यादा होने पर बर्दाश्त नहीं होता और चैनल फिर बदल देता हूँ. ओह मगर इसमें भी वही नैन मटक्के. फाइल फुटेज पर पूरा खेल. सभी चैनलों में इस राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे पर बहस जारी है. कोई कह रहे हैं अभी तो झांकी है, पिक्चर अभी बाकी है. पिक्चर ख़त्म कब होगा यार कोई ये भी तो बता दो. सुबह-सुबह शौच जाने के टाइम भी सनसनीखेज खुलासों से शौच भी दूभर हो गया है. आज कहानी की कड़ी को यहीं पर समाप्त करते हैं. अगली कड़ी में आप किसी अन्य विषय पर कहानी सुनना चाहते हैं. या शौच भी दूभर हो गया है...यहीं से कहानी आगे बढ़ाना है. मित्रों ये कमेंट्स करके बताना है...
-कंचन ज्वाला कुंदन
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