अपने गोल के एकॉर्डिंग रोल चाहिए
अपने रोल के एकॉर्डिंग गोल चाहिए
जीतना है बाजी तो जंग-ए-मैदान आओ
जीत की कीमत चुकाने कुछ मोल चाहिए
समंदर का सफर है तो जहाज तलाशो
उडऩा है तो उडऩ खटोल चाहिए
अपने-अपने फील्ड में यूनिक बनना होगा
जिसे भी सक्सेस अनमोल चाहिए
उलझे हैं सब बुतरु, पीपर पात के तुतरु में
और चाहत है बड़ा-सा ढोल चाहिए
-कंचन ज्वाला 'कुंदन' छत्तीसगढ़, रायपुर
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