माथे की सिंदूर ने रोक लिया इसे
नहीं तो ये आँखें बहुत कमीना है
क्यों घूर रहा था बड़ी देर तक
जैसे साथ-साथ ही इसे जीना है
वही है रंगत खूबसूरती है गाल में
वही कद-काठी बेहतरीन सीना है
लगा कि सदी गुजरी हो साथ में
आपको मुझसे किसी ने छीना है
नशा ही नशा है आपकी तस्वीर में
जरुरत ही नहीं कि दारू भी पीना है
- कंचन ज्वाला कुंदन
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