मुसीबतों का घना कोहरा छा जाए तो भी
कांच और कांटों से भरा रास्ता
चलने से कदम लड़खड़ाए तो भी
आंखों से आंसू डबडबाए तो भी
चेहरे की चमक खो जाए तो भी
जो होना है हो जाए तो भी
मैं लड़ूंगा अंतिम सांसों तक
लड़ना नीयत में है
नियति को चाहे जो मंजूर हो
जीत या हार...
- कंचन ज्वाला कुंदन
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