गुरुवार, 5 सितंबर 2024

मैं लड़ूंगा अंतिम सांसों तक

मुसीबतों का घना कोहरा छा जाए तो भी

कांच और कांटों से भरा रास्ता

चलने से कदम लड़खड़ाए तो भी


आंखों से आंसू डबडबाए तो भी

चेहरे की चमक खो जाए तो भी

जो होना है हो जाए तो भी


मैं लड़ूंगा अंतिम सांसों तक

लड़ना नीयत में है

नियति को चाहे जो मंजूर हो

जीत या हार...


- कंचन ज्वाला कुंदन


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