साथियों मैं फिर हाजिर हूँ एक वीडियो लेकर. आज बात करेंगे एक्जाम में अंकों की अंधी दौड़ पर. पहले तो १०वीं-१२वीं के सभी टॉपरों को मेरा सादर प्रणाम. आज मैं खुद को भी खुद ही दंडवत प्रणाम करता हूँ. विद्यार्थी जीवन में मैं भी कभी अंकों की इस अंधी दौड़ में खुद को सबसे आगे पाता था. आज चौतरफा फेल हूँ. मैं किताबें ही रटता रह गया. हर क्षेत्र में गलाकाट प्रतिस्पर्धा है. हर क्षेत्र में क्रूरता है. हर क्षेत्र में कुटिलता है. हर क्षेत्र में नेपोटिज्म है.
रट्टू विद्यार्थी हर क्षेत्र में मेरी तरह टट्टू ही साबित होगा. १०वीं में १०० प्रतिशत अंक पाने वाली मुंगेली की प्रज्ञा कश्यप के प्रज्ञा को, मेधा को, विद्वता को चरण छूकर प्रणाम करता हूँ. प्रज्ञा ने सभी विषयों में १०० में १०० अंक हासिल किया है. १०० फीसदी परीक्षा परिणाम का मतलब जानते हैं आप...? प्रज्ञा जितना गणित में दक्ष है उतना ही उनका हिंदी पर कमांड है. प्रज्ञा जितना विज्ञान जानती है उतना ही उसे कला में भी महारत हासिल है. मैं तो इतना ही कहूँगा अद्भुत..., अद्वितीय... वर्तमान एजुकेशन सिस्टम को पुनः दंडवत प्रणाम. मैं आपसे एक बात पूछना चाहता हूँ. क्या आप समंदर में तैरना, आसमान में उड़ना, जमीन में तेज दौड़ना सभी में एक बराबर महारत हासिल कर सकते हैं. यदि आपका जवाब हाँ है तो आपको भी मेरा सादर प्रणाम.
मैं तो कहता हूँ आप अपने बच्चों को अंकों की इस अंधी दौड़ से बाहर निकालिए. बच्चों का बचपन मत छिनिये. उसे खेलने-कूदने भी दीजिए. उसे स्वस्फूर्त विकास करने दीजिए. बच्चा अपने खोल से, परकोटा से, अंडे से खुद ही बाहर निकल जाएगा. केवल ये कचरा अंक बटोरने से आपका बच्चा जीवन में सफल नहीं होगा. आप अपने बच्चों को वे किताबें लाकर दीजिए जिससे वो अपने जीवन बेहतर बना सके. केवल अंकों की जमापूंजी के लिए रट्टामार किताबों को नगण्य महत्व दीजिए. आजकल एक निहायत ही घटिया ट्रेंडिंग शुरू हो चुका है. पालक अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से करने लगे हैं. यदि आपका बच्चा उड़ने में एक्सपर्ट है तो उसे किसी तैरने वाले बच्चे से तुलना करने की क्या जरूरत. आप उड़ने वाली छोटी से गौरेया को पानी में तैरने की ट्रेनिंग देना चाहते हैं. पेड़ पर तेजी से चढ़ने वाले बंदर को आप उड़ना सिखाना चाहते हैं. ये सिद्धांत पूरी तरह निसर्ग के नियम के खिलाफ है.
वीडियो पसंद आया हो तो लाइक कीजिए, शेयर कीजिए, मेरा उत्साह बढ़ाने मेरे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब कीजिए... आप सभी को मेरा सादर यथोचित अभिवादन... आज बस इतना ही... कल फिर मिलेंगे..
आपका अपना ही
कंचन ज्वाला कुंदन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें