सड़क से सदन तक बेफिजूल बवाल है
ये डर्टी पॉलिटिक्स भी न बड़ा कमाल है
मैं जब भी जिक्र करूँ पुराने सवालों का
ये फिर से खड़ा कर देता नए सवाल है
हुकूमत बता रहा है हमें आँखें दिखाकर
क्या-क्या हराम और क्या-क्या हलाल है
बचने लगा है अलगू जुम्मन से मिलने में
पड़ोस में रहकर भी अलगाव-सा हाल है
किसी दिन पता चलेगा ये साजिश जरूर
शेर की खाल में किसी गीदड़ की चाल है
- कंचन ज्वाला कुंदन
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