आदमी खोखला बम है जिसमें बारूद नहीं होता
आदमी हरदम आम है क्यों अमरुद नहीं होता
करना पड़ता है काम लिखना पढ़ता है नाम
इतिहास के पन्ने यूँ खुद नहीं होता
मिली जिंदगी मूलधन है यहाँ ब्याज भी चुकाओगे
कौन कहता है दिए रकम का सूद नहीं होता
लोग खुले हाथ आते हैं और खुले हाथ जाते हैं
नाम मगर नेस्तनाबूद नहीं होता
टूटे खंडहर सा धूल के बवंडर सा दिखता ये जहाँ कुंदन
अगर दुनिया में प्यार का वजूद नहीं होता
- कंचन ज्वाला कुंदन
आदमी हरदम आम है क्यों अमरुद नहीं होता
करना पड़ता है काम लिखना पढ़ता है नाम
इतिहास के पन्ने यूँ खुद नहीं होता
मिली जिंदगी मूलधन है यहाँ ब्याज भी चुकाओगे
कौन कहता है दिए रकम का सूद नहीं होता
लोग खुले हाथ आते हैं और खुले हाथ जाते हैं
नाम मगर नेस्तनाबूद नहीं होता
टूटे खंडहर सा धूल के बवंडर सा दिखता ये जहाँ कुंदन
अगर दुनिया में प्यार का वजूद नहीं होता
- कंचन ज्वाला कुंदन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें