कड़वा हूँ मैं, कांटा भी हूँ
अंगार बनना चाहता हूँ मैं
तुम भी चाहो तो इस्तेमाल कर लो मेरा
हथियार बनना चाहता हूँ मैं
नहीं बनना मुझे
केजरीवाल जैसा ईमानदार
नहीं करना मुझे
अन्ना जैसा आंदोलन
मैं मोदी की तरह
भाषण में ही ठीक लगता हूँ
किसी प्लेसमेंट कंपनी से
नीयतखोर चौकीदार बनना चाहता हूँ मैं
मैं इस धरती का बोझ ही सही
और अधिक भार बनना चाहता हूँ मैं
-कंचन ज्वाला कुंदन
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