मंगलवार, 16 अक्टूबर 2018

कहाँ बढ़ रहा निरर्थक

आज के भारतीय युवा
केश राशि बिखरा हुआ
चेहरा क्रीम से निखरा हुआ
जींस-टाउजर से जकड़ा हुआ
मोबाइल हाथ में पकड़ा हुआ
टीशर्ट शॉर्ट कट
पारदर्शी भी बट
पश्चिमी सभ्यता से संलिप्त
फूहड़ फैशन से ओत-प्रोत
ऐ देश के आधार स्तंभ
छोड़ दे मद छोड़ दे दंभ
ऐ वीरव्रत आर्य संतान
तू हिंद का स्वाभिमान
तू राष्ट्र की रीढ़
मेरे देश की धड़कन
ऐ क्रांति के समर्थक
कहाँ बढ़ रहा निरर्थक

-कंचन ज्वाला कुंदन 

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