सोमवार, 22 अक्टूबर 2018

लड़ो आदमियों अब जात के लिए

मुद्दा नहीं रहा अब बात के लिए
लड़ो आदमियों अब जात के लिए

शांति ढंग का आंदोलन बहुत हो चुका
आगे बढ़ो अब घुसा-लात के लिए

रुपयों के चक्कर में मारामारी दिन गुजरा
रहने दो आदमियों जरा कुछ रात के लिए

फल-फूल, डाल-तना सबके लिए झगड़ा
झगड़ा-दर-झगड़ा हर पात के लिए

दोष किसका है किसे दोगे कुंदन
जैसे-तैसे आज के हालात के लिए

-कंचन ज्वाला कुंदन 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें