मुद्दा नहीं रहा अब बात के लिए
लड़ो आदमियों अब जात के लिए
शांति ढंग का आंदोलन बहुत हो चुका
आगे बढ़ो अब घुसा-लात के लिए
रुपयों के चक्कर में मारामारी दिन गुजरा
रहने दो आदमियों जरा कुछ रात के लिए
फल-फूल, डाल-तना सबके लिए झगड़ा
झगड़ा-दर-झगड़ा हर पात के लिए
दोष किसका है किसे दोगे कुंदन
जैसे-तैसे आज के हालात के लिए
-कंचन ज्वाला कुंदन
लड़ो आदमियों अब जात के लिए
शांति ढंग का आंदोलन बहुत हो चुका
आगे बढ़ो अब घुसा-लात के लिए
रुपयों के चक्कर में मारामारी दिन गुजरा
रहने दो आदमियों जरा कुछ रात के लिए
फल-फूल, डाल-तना सबके लिए झगड़ा
झगड़ा-दर-झगड़ा हर पात के लिए
दोष किसका है किसे दोगे कुंदन
जैसे-तैसे आज के हालात के लिए
-कंचन ज्वाला कुंदन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें