रविवार, 14 अक्टूबर 2018

कुंदन का सफ़र आसमान से है

ना खौफ खुदा से ना भय भगवान से है
दिल डर गया बहुत इंसान से है

धरम का धंधा फल-फूल रहा है
मंदिर-मस्जिद भी दुकान से है

उठाकर फेंक दो कभी यहाँ-कभी वहां
पत्थर दिल आदमी सामान से है

हर मुआमले में कर लो मुआयना
दुनिया में वतन ना हिंदुस्तान से है

नाउम्मीदी है मगर मंजिल मिल जाएगी
कुंदन का सफ़र आसमान से है

- कंचन ज्वाला कुंदन 

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