बढ़ने से रोके जो
आदत वो दूर करो
किस बात की चिंता तुम्हें
चिंता चकनाचूर करो
तुम किसी से कम नहीं
खुद पे खूब गुरुर करो
अँधेरा गरीबी का आप ही मिटेगी
अंदर अमीरी का नूर करो
- कंचन ज्वाला कुंदन
आदत वो दूर करो
किस बात की चिंता तुम्हें
चिंता चकनाचूर करो
तुम किसी से कम नहीं
खुद पे खूब गुरुर करो
अँधेरा गरीबी का आप ही मिटेगी
अंदर अमीरी का नूर करो
- कंचन ज्वाला कुंदन
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