सोमवार, 15 अक्टूबर 2018

जिसने सबकी लुटिया डुबाया

क्रोध ने मेरा घर ढहाया
क्रोध ने मेरा घर बहाया

घर-आँगन की दूरियां बढ़ गई
क्रोध ने ऐसा जाल बिछाया

मैंने दिल अपनों का तोड़ा
क्रोध ने कितने बार फँसाया

क्रोध अचूक हथियार है कुंदन
जिसने सबकी लुटिया डुबाया

- कंचन ज्वाला  कुंदन 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें