मंगलवार, 23 अक्टूबर 2018

रोते हुए हँसने का हुनर रखते हैं

रोते हुए हँसने का हुनर रखते हैं
दर्द में भी जीने का जिगर रखते हैं

मरीज ठीक हो जाये बिना दवा के
दुआ में इतना हम असर रखते हैं

जैसा जो बिता बीत गया कल
आने वाले कल पे नजर रखते हैं

हम क्या हैं हम जानते हैं हुजुर
तुम भी क्या चीज हो खबर रखते हैं

मंजिल पाने की हमें जिद है और यकीं भी
इसीलिए दिल में इतना सबर रखते हैं

- कंचन ज्वाला कुंदन 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें