गुल गुलशन में गुलजार होगी जिस तरह
दर्दे-गम में गजल बहार होगी उस तरह
मुये का सनम से प्यार होगी जिस तरह
उये अंदाज में इनकार होगी उस तरह
जीत में जश्ने बहार होगी जिस तरह
हार में हस्रे सरोकार होगी उस तरह
दिल का खुशियों में दरकार होगी जिस तरह
ग़मों का सामना भी साकार होगी उस तरह
तेज धूप सर पे सवार होगी जिस तरह
उतना ही छांव तलबगार होगी उस तरह
रात यदि डर का गुबार होगी जिस तरह
दिन मसीहा सा मददगार होगी उस तरह
-कंचन ज्वाला कुंदन
दर्दे-गम में गजल बहार होगी उस तरह
मुये का सनम से प्यार होगी जिस तरह
उये अंदाज में इनकार होगी उस तरह
जीत में जश्ने बहार होगी जिस तरह
हार में हस्रे सरोकार होगी उस तरह
दिल का खुशियों में दरकार होगी जिस तरह
ग़मों का सामना भी साकार होगी उस तरह
तेज धूप सर पे सवार होगी जिस तरह
उतना ही छांव तलबगार होगी उस तरह
रात यदि डर का गुबार होगी जिस तरह
दिन मसीहा सा मददगार होगी उस तरह
-कंचन ज्वाला कुंदन
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