सोमवार, 29 अक्टूबर 2018

उतार फेंको ये खुद्दारी तुम भी गद्दार बनो

जो जैसा है उसके लिए वैसा ही किरदार बनो
कभी जरूरत पड़े तो गुरेज नहीं मक्कार बनो

कोई शहरी बाबू तुम्हें गधा बनाके न निकल ले
अरे! कम से कम इतना तो होशियार बनो

बेईमानों का बोलबाला है इस बस्ती में
मैं बिल्कुल नहीं चाहता तुम ईमानदार बनो

संवेदना-सहानुभूति शब्दकोष में ही अच्छे हैं
तुम आदमी के भेष में हथियार बनो

मेरे तजुर्बा से तुम्हें एक सलाह है 'कुंदन'
उतार फेंको ये खुद्दारी तुम भी गद्दार बनो 

- कंचन ज्वाला कुंदन 

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