सोमवार, 29 अक्टूबर 2018

जरा भी कम लगा दम तो हारना पड़ेगा

जीत के लिए तो जान भी वारना पड़ेगा
जरा भी कम लगा दम तो हारना पड़ेगा
-कंचन ज्वाला कुंदन

जिसमें लगन लग जाये उसमें पूरा खून निचोड़ दो

बेमन के काम से सफलता के झूठे भ्रम तोड़ दो
जिसमें तुम्हारा मन ही न लगे वो काम छोड़ दो

क्या तुम नहीं जानते सफलता का मूलमंत्र यही है
जिसमें लगन लग जाये उसमें पूरा खून निचोड़ दो

-कंचन ज्वाला कुंदन

बाहर बदलना है तो पहले अंदर ही बदलाव करें

लक्ष्य के काबिल है जरूरी हम अपना स्वभाव करें
बाहर बदलना है तो पहले अंदर ही बदलाव करें

ये सोच लो जो बनना है वो बन चुके हो अभी से
चलो आज से वैसा ही हम अपना हाव-भाव करें

सफलता में जो बाधा है बहा दें उन विचारों को
लक्ष्य के खातिर जो मुकम्मल उन विचारों का जमाव करें

चलने से पहले सोच लें भले ही सौ बार मगर
फिर अपने बढ़ते कदम को हरगिज नहीं ठहराव करें

बुरी आदतों पर जरूरी है कोई सर्जिकल स्ट्राइक
समय-समय पर आगजनी घड़ी-घड़ी पथराव करें

- कंचन ज्वाला कुंदन

उतार फेंको ये खुद्दारी तुम भी गद्दार बनो

जो जैसा है उसके लिए वैसा ही किरदार बनो
कभी जरूरत पड़े तो गुरेज नहीं मक्कार बनो

कोई शहरी बाबू तुम्हें गधा बनाके न निकल ले
अरे! कम से कम इतना तो होशियार बनो

बेईमानों का बोलबाला है इस बस्ती में
मैं बिल्कुल नहीं चाहता तुम ईमानदार बनो

संवेदना-सहानुभूति शब्दकोष में ही अच्छे हैं
तुम आदमी के भेष में हथियार बनो

मेरे तजुर्बा से तुम्हें एक सलाह है 'कुंदन'
उतार फेंको ये खुद्दारी तुम भी गद्दार बनो 

- कंचन ज्वाला कुंदन 

मंगलवार, 23 अक्टूबर 2018

चिथड़ेपन की सादगी

ये चमक-दमक
ये चकाचौंध
हमारे लिए नहीं है

ये तड़क-भड़क
ये चमक चाँदनी
हमारे लिए नहीं है

हमारे लिए बनी है
चिथड़ेपन की सादगी

हमारे लिए बनी है
ख़ामोशी की जिंदगी 

-कंचन ज्वाला कुंदन

बीमार था मैं

हर बुखार उतर गया
पैसे के कारण

जाने किस-किस चीज का
बुखार था मुझे

जाने किस-किस चीज के लिए
बीमार था मैं

-कंचन ज्वाला कुंदन

17/07/013

चुकाना होगा सौ आँसू देकर

चाँदनी है सब
चार दिनों की
दिखावा है
फरेब है
मैं जानता हूँ मुझे
ये खुशियाँ देने की कोई योजना नहीं
बल्कि खून के आँसू रूलाने की साजिश है
अंततः वही होगा
मुझे एक हँसी की कीमत
चुकाना होगा सौ आँसू देकर

-कंचन ज्वाला कुंदन 

माँ-बाबूजी क्या करते हैं?

माँ-बाबूजी क्या करते हैं?
इस सवाल का सामना
बार-बार हो जाता है
मैं हर जगह जवाब
अलग-अलग देता हूँ
क्योंकि मैं खुद असमंजस में हूँ
कि आखिर पिताजी क्या करते हैं
सवाल के वक्त
जवाब चाहे मैंने
कुछ भी दिया हो
मगर इस सवाल का
जेहन में जवाब
बस एक ही गूंजता है
पिताजी क्या करते हैं
दारू पीते हैं जुआ खेलते हैं
माँ को मारते हैं माँ को पीटते हैं
माँ क्या करती है...?
नौकरानी-सी काम करती है
जुल्म सहती है
30/07/013

जीने का मोह है ना मरने का डर है

जीने का मोह है ना मरने का डर है
प्रदूषित समाज है प्रदूषित शहर है

शहर ने बख्शी है जिंदगी भीख की तरह
पूरा शहर चिल्लाता है जिंदगी कहर है

पानी भी यहाँ कहाँ मिलता है साफ-सुथरा
पानी भी विषाक्त है धीमा जहर है

अब लगने लगा है लोगों को वो गांव में ही ठीक था
अरे कहाँ आ गए सब ये कैसा शहर है

कोल्हू की बैल की तरह घूम रहे हैं लोग सारे 
जिन्हें खबर ही नहीं क्या दिन-रात क्या दोपहर है

शुद्ध हवा तक बचा नहीं जीने के वास्ते
जितना भी साँस लो सबका सब जहर है

वाहनों की धूल चिमनियों की धुआं
इसीलिए चिलचिलाती लू की लहर है

- कंचन ज्वाला कुंदन 

रोते हुए हँसने का हुनर रखते हैं

रोते हुए हँसने का हुनर रखते हैं
दर्द में भी जीने का जिगर रखते हैं

मरीज ठीक हो जाये बिना दवा के
दुआ में इतना हम असर रखते हैं

जैसा जो बिता बीत गया कल
आने वाले कल पे नजर रखते हैं

हम क्या हैं हम जानते हैं हुजुर
तुम भी क्या चीज हो खबर रखते हैं

मंजिल पाने की हमें जिद है और यकीं भी
इसीलिए दिल में इतना सबर रखते हैं

- कंचन ज्वाला कुंदन 

सोमवार, 22 अक्टूबर 2018

लड़ो आदमियों अब जात के लिए

मुद्दा नहीं रहा अब बात के लिए
लड़ो आदमियों अब जात के लिए

शांति ढंग का आंदोलन बहुत हो चुका
आगे बढ़ो अब घुसा-लात के लिए

रुपयों के चक्कर में मारामारी दिन गुजरा
रहने दो आदमियों जरा कुछ रात के लिए

फल-फूल, डाल-तना सबके लिए झगड़ा
झगड़ा-दर-झगड़ा हर पात के लिए

दोष किसका है किसे दोगे कुंदन
जैसे-तैसे आज के हालात के लिए

-कंचन ज्वाला कुंदन 

शनिवार, 20 अक्टूबर 2018

हथियार बनना चाहता हूँ मैं

कड़वा हूँ मैं, कांटा भी हूँ
अंगार बनना चाहता हूँ मैं 
तुम भी चाहो तो इस्तेमाल कर लो मेरा 
हथियार बनना चाहता हूँ मैं 

नहीं बनना मुझे 
केजरीवाल जैसा ईमानदार 
नहीं करना मुझे 
अन्ना जैसा आंदोलन 
मैं मोदी की तरह 
भाषण में ही ठीक लगता हूँ 
किसी प्लेसमेंट कंपनी से 
नीयतखोर चौकीदार बनना चाहता हूँ मैं  
मैं इस धरती का बोझ ही सही 
और अधिक भार बनना चाहता हूँ मैं  

-कंचन ज्वाला कुंदन 

बनना चाहता हूँ नायाब


लिखना चाहता हूँ बहुत
पढ़ना चाहता हूँ किताब 

होना चाहता हूँ कामयाब 
बनना चाहता हूँ नायाब 

-कंचन ज्वाला कुंदन 

मंगलवार, 16 अक्टूबर 2018

आओ ऐसे बादल बनें

आओ ऐसे बादल बनें

बिना किसी स्वार्थ के ऐसी उपकार
हमने कभी देखे नहीं
ना शायद कभी सुने हैं
धूप से तप्त पर्वतों को
दावाग्नि से पीड़ित वनों को
जो शीतल दे खुश होते हैं
आओ ऐसे बादल बनें
नदी नालों को
खेत खलिहानों को
जलमग्न कर
भूमंडल को जैवमंडल को
हरियाली दे
जो बरस-बरस कर खाली हो जाये
पर बरसना ना छोड़े
ऐसे उपकारी बादल बनें
आओ ऐसे बादल बनें

- कंचन ज्वाला कुंदन 

प्यार, प्रेरक और परिवार, तीनों की तलाश

प्यार, प्रेरक और परिवार, तीनों की तलाश
जो सुकून दे, शांति दे
बिन मांगे
जो शीतल दे जाये
मुझे तलाश है
ऐसे चाँद की

राह में रौशनी बिखेरे
मुझे राह दिखाये
मुझे तलाश है
ऐसे सूरज की

जो बिन गरजे बरसे
खुशियाँ बरसाये
मुझे तलाश है
ऐसे बादल की

-कंचन ज्वाला कुंदन 

किस भूमिका में लूटी वाहवाही

चल राही चल

समय ने हमें पुत्र-पौत्र-बंधुभाई
पिता-पितामह-गुरुभाई
ना जाने क्या-क्या कहा है
पर सोचें प्रक्रति के इस नाटक में
अपनी भूमिका कैसा रहा है
किस भूमिका को हमने खरा पाया
किस भूमिका को हमने ठीक निभाया
किस भूमिका में हमने चूक की
किस भूमिका में हमने भूल की
किस भूमिका को पूरा किया
किस भूमिका को अधूरा किया
आज सोचें और बोलेन
अपना मुंह खोलें
किस भूमिका में पाई सम्मान
किस भूमिका में खाई अपमान
समय आ गया चलने का
महरूम कुछ बातों से खलने का
पड़ाव अंतिम है सत्य कहो राही
किस भूमिका में लूटी वाहवाही

-कंचन ज्वाला कुंदन 

कहाँ बढ़ रहा निरर्थक

आज के भारतीय युवा
केश राशि बिखरा हुआ
चेहरा क्रीम से निखरा हुआ
जींस-टाउजर से जकड़ा हुआ
मोबाइल हाथ में पकड़ा हुआ
टीशर्ट शॉर्ट कट
पारदर्शी भी बट
पश्चिमी सभ्यता से संलिप्त
फूहड़ फैशन से ओत-प्रोत
ऐ देश के आधार स्तंभ
छोड़ दे मद छोड़ दे दंभ
ऐ वीरव्रत आर्य संतान
तू हिंद का स्वाभिमान
तू राष्ट्र की रीढ़
मेरे देश की धड़कन
ऐ क्रांति के समर्थक
कहाँ बढ़ रहा निरर्थक

-कंचन ज्वाला कुंदन 

आओ एकांत में बातें करें

एकांत वरदान है हमारे लिए
आओ एकांत में बातें करें

ये खुदा का एहसान है हमारे लिए
आओ एकांत में बातें करें

ये समय महान है हमारे लिए
आओ एकांत में बातें करें

-कंचन ज्वाला कुंदन 

अंदर अमीरी का नूर करो

बढ़ने से रोके जो
आदत वो दूर करो

किस बात की चिंता तुम्हें
चिंता चकनाचूर करो

तुम किसी से कम नहीं
खुद पे खूब गुरुर करो

अँधेरा गरीबी का आप ही मिटेगी
अंदर अमीरी का नूर करो

- कंचन ज्वाला कुंदन 

आओ खुद से बातें करें

कल की चिंता कल पे छोड़ें
आओ खुद से बातें करें

रूख मंजिल की तरफ ही मोड़ें
आओ खुद से बातें करें

अपने मन की गांठें तोड़ें
आओ खुद से बातें करें

टूटे दिल को फिर से जोड़ें
आओ खुद से बातें करें

- कंचन ज्वाला कुंदन 

धीरे-धीरे-हौले-हौले जीवन गढ़ो

साहस रखो
आगे बढ़ो

ऊपर देखो
ऊपर चढ़ो

आप देखो अपना ही
चेहरा पढ़ो

धीरे-धीरे-हौले-हौले
जीवन गढ़ो

- कंचन ज्वाला कुंदन 

खाओ-पीओ और मर जाओ क्या इसलिए आये हैं

उड़ेलकर अमृत को
विष लिए आये हैं

खाओ-पीओ और मर जाओ
क्या इसलिए आये हैं

फिर कहो दुनिया में हम
किसलिए आये हैं

- कंचन ज्वाला कुंदन 

वासना का दलदल क्यों उसकी स्वीकृति है

इंसान तो खुदा की
अनमोल कृति है

जहर से भरा फिर
क्यों आकृति है

पाप की पूंज क्यों
उसकी स्मृति है

जानवर सरीखा क्यों
उसकी प्रकृति है

वासना का दलदल क्यों
उसकी स्वीकृति है

- कंचन ज्वाला कुंदन 

भीड़ और भेड़ चाल

भीड़ और भेड़ चाल कतई पसंद नहीं मुझे
मैं अकेले ही चलता हूँ किसी कारवां की तरह...

सोमवार, 15 अक्टूबर 2018

कुछ कथनी है कुछ करनी है अंदर-बाहर अंतर है

बाहर क्यों भटकते हो
सारा चीज तो अंदर है

अपने अंदर जाकर खोजो
दुनिया मस्त कलंदर है

बेवजह यूँ तिकड़मबाजी
मन का क्यों पटंतर है

कुछ कथनी है कुछ करनी है
अंदर-बाहर अंतर है

हम ही हम को समझ ना पाये
चंचल मन तो बंदर है

- कंचन ज्वाला कुंदन 

आज का देखो भ्रांतिराम

क्रोध में ही पलता है
क्रोध लेके चलता है
आज का देखो शांतिराम

बूझा-बूझा लटका-लटका
उतरा-उतरा चेहरा है
आज का देखो कांतिराम

गाँधी का है अनुगामी
चंद्र बोस का फिर भी नामी
आज का देखो भ्रांतिराम

शांति दूत है खूनी शातिर
खून-खराबा जिसके खातिर
आज का देखो क्रांतिराम

- कंचन ज्वाला कुंदन 

जिसने सबकी लुटिया डुबाया

क्रोध ने मेरा घर ढहाया
क्रोध ने मेरा घर बहाया

घर-आँगन की दूरियां बढ़ गई
क्रोध ने ऐसा जाल बिछाया

मैंने दिल अपनों का तोड़ा
क्रोध ने कितने बार फँसाया

क्रोध अचूक हथियार है कुंदन
जिसने सबकी लुटिया डुबाया

- कंचन ज्वाला  कुंदन 

आदमी अकेला है उलझन की ढेर में

शाम को सुकून नहीं
शांति नहीं सबेर में

आया तो आया होश
आया बहुत देर में

आदमी अकेला है
उलझन की ढेर में

फँस चुका है जाल में
रिश्तों की फेर में

कुंदन तुम देखते रहो
बैठे हुए मुंडेर में

- कंचन ज्वाला कुंदन 

आओ दिल की बातें करें

गले मिलें दुश्मनी भुलाएँ
आओ दिल की बातें करें

गम भूलें खुशियाँ मनाएं
आओ दिल की बातें करें

चलो चलें हम फूल खिलाएं
आओ दिल की बातें करें

- कंचन ज्वाला कुंदन 

उत्साह जिसका प्रबल है

वह हमेशा ऊपर है
सिद्धांत जिसका अटल है

वह हमेशा आगे है
उत्साह जिसका प्रबल है

वह हमेशा ऊँचा है
मन जिसका सबल है

- कंचन ज्वाला कुंदन 

आओ दृढ़ निश्चय करो

राह के काँटों से
क्यों भला तुम भय करो

कैसे पार होओगे उससे
देखो तुरंत निर्णय करो

रुक-रुक कर राहों में तुम
यूँ ना साहस क्षय करो

मंजिल तुम्हारी राह देख रही
आगे बढ़ो विजय करो

एक ही तो काम है यारों
आओ दृढ़ निश्चय करो

- कंचन ज्वाला कुंदन  

गौर करो जो तुमने किया वायदा यहाँ क्या है

खुद पे विश्वास से
ज्यादा यहाँ क्या है

सोचो कि सबसे बड़ा
फायदा यहाँ क्या है

नीति-नियम तुम्हारे अपने
कायदा यहाँ क्या है

गौर करो जो तुमने किया
वायदा यहाँ क्या है

- कंचन ज्वाला कुंदन 

हे मनुष्य! तुम अपने आपको कब जानोगे...?

हे मनुष्य! तुम अपने आपको
कब जानोगे...?

अंदर छुपी हुई आत्मशक्ति को
कब पहचानोगे...?

तुम जन्म से महान हो इस बात को
कब मानोगे...?

- कंचन ज्वाला कुंदन 

कामयाबी की खीर कब बाँटोगे...?

बुराई का गर्त
कब पाटोगे...?

सफलता का शर्त
कब छांटोगे...?

जेहन की जंजीर
कब काटोगे...?

कामयाबी की खीर
कब बाँटोगे...?

- कंचन ज्वाला कुंदन 

मन से मिन्नत करो कि मन मगन हो जाये

अपना ये जुनून यारों
अगन हो जाये

मन से मिन्नत करो कि
मन मगन हो जाये

और काम करो ऐसा कि
लगन हो जाये

- कंचन ज्वाला कुंदन 

सारी शक्तियां लक्ष्य में निचोड़ दो

सारी शक्तियां लक्ष्य में
निचोड़ दो

अंदर जो भी क्षमता है
झिंझोड़ दो

राहों के फरेब सारे
तोड़ दो

कमियां एक किनारा करो
छोड़ दो

वह चलके इधर आये, उसकी दिशा कि
मोड़ दो

मंजिल से ऐसा रिश्ता कि
जोड़ दो

- कंचन ज्वाला कुंदन 

आसमां में नाम अपना लिखा दो

मन को हुनर
सिखा दो

एक जगह उसे
टिका दो

फिर तुम क्या हो
दिखा दो

आसमां में नाम अपना
लिखा दो

- कंचन ज्वाला कुंदन

मन क्यों दुखी मन से पूछो निराशा समझो

अपने मन की
भाषा समझो

है क्या उसकी
अभिलाषा समझो

मन की हमसे उम्मीद क्या हिया
आशा समझो

मन क्यों दुखी मन से पूछो
निराशा समझो

- कंचन ज्वाला कुंदन

फिर कहो भाग्य कैसे संवर पाएगी

मन की शक्तियां अगर
बिखर जाएगी

फिर कहो भाग्य कैसे
संवर पाएगी

बिना तराशे तक़दीर कैसे
निखर जाएगी

और कहो कि किस्मत कैसे
शिखर पाएगी

- कंचन ज्वाला कुंदन 

इस तरह ऐ दोस्त अगर हार जाओगे

इस तरह ऐ दोस्त अगर
हार जाओगे

आगे का सफ़र कैसे
पार पाओगे

पतझड़ से जब तक नहीं
मार खाओगे

फिर कहो कैसे कि
बहार लाओगे

- कंचन ज्वाला कुंदन 

कुंदन यूँ कब तक भला दोपाया रहेगा

सफलता में कब तक
साया रहेगा

बदली यूँ कब तक
छाया रहेगा

कुंदन यूँ कब तक भला
दोपाया रहेगा

-कंचन ज्वाला कुंदन 

ऐसा क्यों स्वभाव है

हम गरीब हैं
अभाव है

और तो ये कुछ भी नहीं
मन का केवल भाव है

खुद को तुम दोषी कहते
ऐसा क्यों स्वभाव है

आत्मविश्वास और आत्मशक्ति का
आखिर क्यों नहीं प्रभाव है

- कंचन ज्वाला कुंदन 

और अच्छी तरह जान लो स्वत्व क्या है...?

तुम ही सोचो तुम्हारा कि
महत्व क्या है...?

तुम ही कहो तुम्हारे अंदर
तत्व क्या है...?

और अच्छी तरह जान लो
स्वत्व क्या है...?

- कंचन ज्वाला कुंदन  

खून के हर बूंद को

हौसला करो हासिल और
लक्ष्य का हरण करो

जुनून करो शामिल और
मंजिल का वरण करो

खून के हर बूंद को
कामयाबी के शरण करो

- कंचन ज्वाला कुंदन 

रविवार, 14 अक्टूबर 2018

इतना तो रहम करो मुझे जिला दो

देखो मैं बेचैन हूँ
मंजिल से मुझे मिला दो
यदि वह किसी पेड़ पर है
गिराने को उसे हिला दो
दिल मेरा चाहता है कि
जल्दी मुझे दिला दो
यदि वह पानी में घुला हिया
लाओ वह पानी मुझे पिला दो
यदि मंजिल जहर में मिले
जरा भी गम नहीं पिला दो
उसके बिना वैसे भी मरा हुआ हूँ
इतना तो रहम करो मुझे जिला दो 
-कंचन ज्वाला कुंदन 

सवाल अपने आप से...

सवाल अपने आप से...

क्या हम मंजिल तक
जा सकेंगे...?

क्या हम अपने लक्ष्य को
पा सकेंगे...?

क्या हम खुद से किये हुए वादे
निभा सकेंगे...?

क्या हम अपना असली स्वरुप
दिखा सकेंगे...?

क्या हम अपनी सोई हुई शक्ति को
जगा सकेंगे...?

-कंचन ज्वाला कुंदन 

करना कठिन पर करके देखें आओ ऐसा यार करें

हम कैसा व्यवहार करें
आओ जरा विचार करें

गम में डूबकर खुशियाँ बांटें
आओ ऐसा आचार करें

ईर्ष्या-नफरत अपने खाते
हम दूसरों को प्यार करें

करना कठिन पर करके देखें
आओ ऐसा यार करें

- कंचन ज्वाला कुंदन 

सफल कैसे होओगे चिंतन करो

सफल कैसे होओगे
चिंतन करो

धनी कैसे बनोगे
मंथन करो

कामयाबी के लिए खुदा का
वंदन करो

- कंचन ज्वाला कुंदन 

देखो कि अंदर क्या पल रहा है

सोचो कि अंदर
क्या चल रहा है

देखो कि अंदर
क्या पल रहा है

बताओ कि अंदर
क्या गल रहा है

जानो कि अंदर
क्या जल रहा है

मानो कि अंदर
क्या ढल रहा है -

- कंचन ज्वाला कुंदन 

तुम जो सोचोगे

तुम जो सोचोगे
करोगे...
तुम जो करोगे
बनोगे...
अगर आग में कूदोगे
मरोगे...

पहले अपना परिचय करें

मन की शक्तियों का
संचय करें

लक्ष्य अवश्य पूरा होगा
निश्चय करें

एक ही शर्त है, पहले अपना
परिचय करें

- कंचन ज्वाला कुंदन 

बुराईयों का विग्रह हो

हे प्रभो! मुझ पर
आपकी अनुग्रह हो

चंचल मेरे मन की
निग्रह हो

अच्छाईयों का संधि हो
बुराईयों का विग्रह हो
 
-कंचन ज्वाला कुंदन 

धीरे-धीरे चलते जाओ

दिल में आगे बढ़ने की
आग लगाओ
मन उलझन में
ना डुबाओ
तुम्हें राह में रोके जो
दिवार गिराओ
बैठे रहने से अच्छा है
धीरे-धीरे चलते जाओ
- कंचन ज्वाला कुंदन 

बस इतना ही फिक्र करें

सफलता हाथ लगेगी यारों
काम करें बेफिक्र करें

जुनून जलती रहे जरुर
जरुरी नहीं कि जिक्र करें

नजर हटे ना मंजिल से कि
बस इतना ही फिक्र करें

- कंचन ज्वाला कुंदन 

बचपन बीत जाती है

बचपन बीत जाती है
माँ की गोद में
जवानी बीत जाती है
बीवी की बांहों में
और बुढ़ापा सिमट जाता है
टूटे हुए खाट तक
जिंदगी की इस रोटी का
तीन टुकड़े का विधान है
ये हम पर ही निर्भर है
हम कौन सा टुकड़ा छोटा करें
ये हम पर ही निर्भर है
हम कौन सा टुकड़ा बड़ा करें
मगर बाँटने का अधिकार हमें
केवल तीन टुकड़ों का मिला है

-कंचन ज्वाला कुंदन 

धीरे-धीरे...

मेरे सपने
होंगे अपने
धीरे-धीरे...

मेरे ख्वाब
होंगे नायाब
धीरे-धीरे...

हर एक अरमान
पायेगा पहचान
धीरे-धीरे...

- कंचन ज्वाला कुंदन 

प्रतिकूल परिस्थिति नापती है स्थिति

प्रतिकूल परिस्थिति
नापती है स्थिति

जो पार हो ना पाये
वो होते वहां इति

चलती कब से आ रही
यहीं एक रीति

बढ़ने वाले गगन चुमते
सबसे सुंदर नीति

-कंचन ज्वाला कुंदन 

हे प्रभो! इसे पूरा कर होने से पहले दमन

इच्छाएं उबलती है मेरे मन में
ईश्वर को मेरा नमन

क्यों करूँ उपेक्षा उनकी
इसे क्यों करूँ शमन

हे प्रभो! इसे पूरा कर
होने से पहले दमन

-कंचन ज्वाला कुंदन 

मौत से क्या मतलब अगर जिंदगी गढ़ रहे हो

नीचे क्यों देखना
अगर ऊपर चढ़ रहे हो

पीछे क्यों देखना
अगर आगे बढ़ रहे हो

मौत से क्या मतलब
अगर जिंदगी गढ़ रहे हो

- कंचन ज्वाला कुंदन 

अब तुम कहो तुम्हारी कि आगाज क्या है

हुए जो सफल उनसे पूछो
राज क्या है

वो केवल इतना जानते थे
आज क्या है

वो अपने दिल की सुनते थे
आवाज क्या है

अब तुम कहो तुम्हारी कि
आगाज क्या है

- कंचन ज्वाला कुंदन 

भाग्य भी आएगा अपने पैर चलकर

अवसर भी आएगा
रूप बदलकर

भाग्य भी आएगा
अपने पैर चलकर

तुम हमेशा तैयार रहना
कमर कसकर

वरना वो निकल जायेगा
नजदीक से ही बचकर

- कंचन ज्वाला कुंदन 

अगर तेरी मानसिकता ही बेंड है

जीवन भर का अपना साथी
टेन फिंगर्स टू हेंड है
सफलता की सच्चाई दोस्त
सोच पर डिपेंड है
तेरा कुछ भी नहीं होगा कालिया यहाँ
अगर तेरी मानसिकता ही बेंड है 

अंजाम दो

अपने नाम को नया फिर
नाम दो
दुनिया भूल ना पाये कि
काम दो
बढ़ते हुए कदम को कभी ना
विराम दो
अपनी शक्ति को सार्थक
आयाम दो
क्या करना है ठान लो
अंजाम दो 

आओ पड़ोसी का अर्थ खोजें

शब्दकोष में
पड़ोसी का अर्थ बदलना पड़ेगा
सार्थक कोई अर्थ
खोजना पड़ेगा
क्योंकि
पूरा का पूरा
अब ढांचा बदल चुका है
पड़ोसी रहने का
और
पड़ोसी होने का
आओ पड़ोसी का अर्थ खोजें
आओ पड़ोसी का अर्थ तलाशें

-कंचन ज्वाला कुंदन 

हसरत तो और भी हरी हो रही है

हसरत तो और भी हरी हो रही है
ख्वाब तो और भी खरी हो रही है

आहिस्ता-आहिस्ता अरमान बढ़ रहा है
रातों की सपने रसभरी हो रही है

चौखट में उपेक्षा सा पड़ा हुआ पायदान
जाने किस मकसद से दरी हो रही है

ख्वाहिश उड़ चले हैं, आसमां को ने
पंख आ रहा है, परी हो रही है

कुंदन अब कभी भी कैद नहीं होगा
जिंदगी बाइज्जत बरी हो रही है

-कंचन ज्वाला कुंदन 

जिंदगी किताब है- पढ़ते चलो

जिंदगी किताब है- पढ़ते चलो

फूल भी आयेंगे
कांटे भी आयेंगे
जिंदगी की हार में
जड़ते चलो
जिंदगी किताब है
पढ़ते चलो

दुश्मनों से ज्यादा
दोस्तों से तुम
जिंदगी जंग है
लड़ते चलो
जिंदगी किताब है
पढ़ते चलो

टूटते-बिखरते
उठते-गिरते
जिंदगी के रास्ते
गढ़ते चलो
जिंदगी किताब है
पढ़ते चलो

उनके चरणों में अर्पित मेरी माँ को समर्पित


पुस्तक का प्रथम पृष्ठ

मेरे खून का हर कतरा मेरी स्याही की हर बूंद
उनके चरणों में अर्पित मेरी माँ को समर्पित

सर्वस्व मेरा जीवन कविता के हर पन्ने
उनके चरणों में अर्पित मेरी माँ को समर्पित

मेरी हरेक कोशिश मेरी हरेक रचना
उनके चरणों में अर्पित मेरी माँ को समर्पित

- कंचन ज्वाला कुंदन 

जिंदगी एक चिड़ी जैसा ही है

जिंदगी तो कब से ऐसा ही है
पर्यायवाची नाम पैसा ही है

तुम भी देख रहे हो हम भी देख रहे हैं
जैसा का तैसा वैसा ही है

तुम्हें भी गम है हमें भी गम है
जिंदगी की बात ऐसा ही है

जाने कब फंस जाये बहेलिये की जाल में
जिंदगी एक चिड़ी जैसा ही है

अपना-अपना देख लो जीने का ढंग
हमें क्या कहोगे कैसा भी है

-कंचन ज्वाला कुंदन 

बन जाने दो जरा हमें कल का दबंग

पारित प्रस्ताव है कैसे करें भंग
जिंदगी की मौत से समझौते का ढंग

तुम कैसे अलग करोगे हम अलग कैसे करेंगे
जिंदगी में शामिल है मौत का ही रंग

तुम बीच में ना पड़ो उसे चलने ही दो
जिंदगी जांबाज का मौत से है जंग

तुम नाम का विजय पताका फहरा दो
मौत से विजय कर दुनिया करो दंग

कुछ करने चले हैं यहाँ हम भी कुंदन
बन जाने दो जरा हमें कल का दबंग

- कंचन ज्वाला कुंदन 

आदमी के भेष में घुमते रहे भेड़िये जो उनके सर इंसानियत का ताज आया

ऐसा कहाँ हुआ कोई फितरत से बाज आया
आदमी के हर काम में कोई ना कोई राज आया

आदमी में बदलाव बनता गया नासूर होता गया काफूर
मगर उसमें बदलाव ना कल आया ना आज आया

आदमी के भेष में घुमते रहे भेड़िये जो
उनके सर इंसानियत का ताज आया

आधुनिकता की दौड़ में जब खाई तक लोग पहुंचे
उन्हें लौट जाने का क्योंकर आवाज आया

यहाँ आदमी अद्भुत है और समाज बहुत सुंदर
नक्काशी के नक़्शे पे कुंदन को नाज आया

- कंचन ज्वाला कुंदन 

कुंदन का सफ़र आसमान से है

ना खौफ खुदा से ना भय भगवान से है
दिल डर गया बहुत इंसान से है

धरम का धंधा फल-फूल रहा है
मंदिर-मस्जिद भी दुकान से है

उठाकर फेंक दो कभी यहाँ-कभी वहां
पत्थर दिल आदमी सामान से है

हर मुआमले में कर लो मुआयना
दुनिया में वतन ना हिंदुस्तान से है

नाउम्मीदी है मगर मंजिल मिल जाएगी
कुंदन का सफ़र आसमान से है

- कंचन ज्वाला कुंदन 

जाने किस क्रम में कुंदन का नाम आये

असल में जिंदगानी वही जो औरों के काम आये
कुछ ऐसा करो दोस्तों सितारों के बीच नाम आये

जिंदगी का बस अर्थ इतना चलते चलो बढ़ते चलो
आंधी आये तूफान आये बाधाएं तमाम आये

मंजिल का धून लिए दिल में जुनून लिए
तुम कदम ना मोड़ना अगर कोई आयाम आये

महफ़िल तो सदा ही सजी रहेगी जमी रहेगी
अभी और सुनो गीत-गजल, दुष्यंत गए खय्याम आये

आज बज्म में आये हैं नए-नए फनकार
जाने किस क्रम में कुंदन का नाम आये

- कंचन ज्वाला कुंदन 

नाम मगर नेस्तनाबूद नहीं होता

आदमी खोखला बम है जिसमें बारूद नहीं होता
आदमी हरदम आम है क्यों अमरुद नहीं होता

करना पड़ता है काम लिखना पढ़ता है नाम
इतिहास के पन्ने यूँ खुद नहीं होता

मिली जिंदगी मूलधन है यहाँ ब्याज भी चुकाओगे
कौन कहता है दिए रकम का सूद नहीं होता

लोग खुले हाथ आते हैं और खुले हाथ जाते हैं
नाम मगर नेस्तनाबूद नहीं होता

टूटे खंडहर सा धूल के बवंडर सा दिखता ये जहाँ कुंदन
अगर दुनिया में प्यार का वजूद नहीं होता

- कंचन ज्वाला कुंदन 

तुम मर जाओ तुम्हारा अंजाम यही है

तुम मर जाओ तुम्हारा अंजाम यही है
अगर दिल में कोई इंतकाम नहीं है

हरेक की जिंदगी किसी मौत का बदला है
ये जन्म जो मिला है इनाम नहीं है

एहसास रखो सर पे नफरत रखो दिल में
ये दुनिया दुलराने का नाम नहीं है

त्रेता में सीताहरण द्वापर में चीरहरण
कलियुग के आचरण में राम नहीं है

कुंदन जीवन झोंक दो बीज-बीज रोप दो
क्या मिलेगा क्या फलेगा ये सोचना तेरा काम नहीं है

- कंचन ज्वाला कुंदन 

जुबां जो खोलो वो सवाल कर दो

कमर जो टेढ़ी है सीधी नाल कर दो
हाथ उठाओ ऊपर मशाल धर दो

फिर निकल जाओ जिधर निकलना है तुम्हें
लोग वाह-वाह कहें ऐसा कमाल कर दो

हर एक कदम एक चिराग बनके उभरे
ऐसा ही दोस्तों कुछ धमाल कर दो

लोगों का सरेराह सिर चकरा जाये
जुबां जो खोलो वो सवाल कर दो

नेताओं के नियत पे कुंदन को क्रोध है
गाहें-बगाहें कोई बवाल कर दो

-कंचन ज्वाला कुंदन 

गुल गुलशन में गुलजार होगी जिस तरह

गुल गुलशन में गुलजार होगी जिस तरह
दर्दे-गम में गजल बहार होगी उस तरह

मुये का सनम से प्यार होगी जिस तरह
उये अंदाज में इनकार होगी उस तरह

जीत में जश्ने बहार होगी जिस तरह
हार में हस्रे सरोकार होगी उस तरह

दिल का खुशियों में दरकार होगी जिस तरह
ग़मों का सामना भी साकार होगी उस तरह

तेज धूप सर पे सवार होगी जिस तरह
उतना ही छांव तलबगार होगी उस तरह

रात यदि डर का गुबार होगी जिस तरह
दिन मसीहा सा मददगार होगी उस तरह

-कंचन ज्वाला कुंदन 

बच्चों को लुभाने वाला जिंदगी झुनझुना नहीं

अभी आपने क्या कहा मैंने कुछ सुना नहीं

क्योंकर कि आखिर तुमने मंजिल अब तक चुना नहीं

जीने का कोई जल्दी से मकसद तलाशो

बच्चों को लुभाने वाला जिंदगी झुनझुना नहीं


तुम तय करो तुरंत ही लक्ष्य जिंदगी का

ये तमुरे की तार का तुनतुना नहीं


ग्राफ बनाओ दोस्त तुम्हें कहाँ तक चढ़ना है

अफ़सोस है कि क्यों तुमने सपने कुछ बुना नहीं


उड़ते रहो कुंदन अभी आना ना जमीं पे

जब तक कि आसमां को हाथ से छूना नहीं

- कंचन ज्वाला कुंदन 

शनिवार, 13 अक्टूबर 2018

पागलों की फ़ौज में...

दुनिया में मशहूर कौन...?
सब पागल और जिद्दी हैं
बाकी सब तो चौसर के
छोटे-छोटे पिद्दी हैं

नाम लिखाओ आप भी
पागलों की फ़ौज में...
जुट जाओ जो करना है फिर
अपनी-अपनी मौज में...

- कंचन ज्वाला कुंदन