मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024

जाति बंधन से बिखरा प्यार

 


जाति बंधन से बिखरा प्यार 

आज जरा सा रो लूं मैं 


मीठा अनुभव हुआ नहीं तो 

मिश्री कहाँ से घोलूं मैं 


प्यार के लिए तरस गया तो 

प्यार से कहाँ बोलूं मैं 


समाज की दकियानूसी का 

कहो तो परतें खोलूं मैं 

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