शनिवार, 12 अक्टूबर 2024

अब केवल जिस्मानी वास्ता, रूह का राब्ता राख़ में है

 


श्वान जैसा ही  घ्राण शक्ति

अब इंसानों के नाक में है


मांसल-मांसल कच्चा मांस

रोज रात ख़ुराक में है


कितना मजा ये तू भी जाने 

छप छप छपाक में है


अब केवल जिस्मानी वास्ता 

रूह का राब्ता राख़ में है  

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