सिर्फ सांस लेना जीवन नहीं
केवल भारी चूक है
तुम कहाँ उलझे हो
इसी बात का दुःख है
सुराख़ भरण के पुनीत काम में
मानो चरम सुख है
चार अंगुल ही भरना है
इतना ही परम भूख है
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