संभोग भी एक साधना है
कर लो आज विचार
कैसे कितना भोगना है
इसका भी शिष्टाचार
जिसने खुद को साधा नहीं
करता है बलात्कार
संतुलन कायम रहे
और संतुलित संसार
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