उठ जाए तो ताज है
गिर जाए तो गाज है
दब जाए तो राज है
खुल जाए तो खाज है
करोगे तो नाज है
कहोगे तो लाज है
मैं सोचकर हैरान हूँ
बड़ा गजब समाज है
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