वो जिस्म से ज्यादा कुछ नहीं
चल बात भी स्वीकार है
लेकिन उसके भी तो कुछ
जिस्मानी अधिकार है
तेरे घर की रोशन बने वो
उसे प्यार की दरकार है
औरत फ़कत औरत नहीं
पूरे घर की वो सरकार है
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