शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2024

औरत फ़कत औरत नहीं



वो जिस्म से ज्यादा कुछ नहीं 

चल बात भी स्वीकार है 


लेकिन उसके भी तो कुछ  

जिस्मानी अधिकार है 


तेरे घर की रोशन बने वो 

उसे प्यार की दरकार है


औरत फ़कत औरत नहीं 

पूरे घर की वो सरकार है

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