रूह से कोई राब्ता नहीं
और न ही रूह से रार है
जिस्मानी सौदा है ये
दो जिस्मों का प्यार है
जिस्म मिल जाए उतना काफी
जिस्म पे जां निसार है
रूह मिले तो और भी अच्छा
रूह से कहाँ तकरार है
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