प्यार कहाँ पाक है
सबके इरादे नापाक है
तेरा रूह गया तेल लेने
जिस्म का ही धाक है
रूह का झुनझुना एक-दो
जिस्म का झाँझ लाख है
मैं क्रूर सच कह रहा
अरे तू क्यों अवाक है
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