यौन यज्ञ में आहुति देंगे
जब हवन कुंड तैयार है
होंठों का रसपान करेंगे
अधरामृत स्वीकार है
करा दो प्रिये दुग्ध अभिषेक
ये तेरा परम उपकार है
पा जाऊं कैवल्य मुक्ति
बस यौन सुख आधार है
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