रविवार, 13 अक्टूबर 2024

ये चार इंच की चांदनी है

 


जमकर इसकी धाक है 

बाकी सब तो खाक है 


उभरे हुए उरोज पर 

धंस गई मेरी आँख है 


मैं कहता हूँ तुम भी आओ 

इस रास्ते की साख है 


ये चार इंच की चांदनी है 

ये चार इंच की सुराख़ है

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