बातें चाहे जो भी कर ले
तुझे भी चाहिए संतुष्टि
गले लटका है मौत का फन
होगा तेरा भी अंत्येष्टि
मन बहलाने स्वर्ग सीढ़ी है
कर तू पहले तन का तुष्टि
कोई अकेला कैसे जिएगा
व्यष्टि बनेगा समष्टि
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें